गाजीपुर सदर ब्लाक के छवनी लाइन ग्राम सभा के मूल निवासी महेन्द्र सिंह कुशवाहा जो कि पिछले कई वर्षो से परेशान है जिनको पिछड़ी जाति का होना प्रदेश सरकार से अत्यंत पीड़ित और दुखी बताया जाता है, इस संदर्भ में 25 दिसंबर 2021 को एक प्रेस कांफ्रेंस में श्री कुशवाहा ने अपनी साफगोई से अवगत कराया, उनका कहना है कि लगभग 25 वर्षों से वाराणसी के कटिंग मेमोरियल स्कूल में गणित का टीचर हूँ। साथ ही साथ मैं वहां लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे आई ए एस एवं पी सी एस आदि परीक्षा का इंचार्ज हुआ करता हूँ। किंतु वहां किसी भी प्रकार का एक भी नुक्स नहीं निकला। परन्तु यहां मेरे भाई के विद्यालय पर कहीं से कोई आपत्तिजनक बात सामने नहीं आई परंतु कहां से मेरे विरोधी जन नकल की सामग्री विद्यालय के बाहर से प्राप्त कर लेते हैं। जिसमें कक्ष निरीक्षक से लेकर के विद्यार्थी से भी कोई आपत्तिजनक नकल सामग्री नहीं मिला। फिर भी प्रिंसिपल पारसनाथ कुशवाह के विद्यालय को टारगेट करके सीज किया गया। यह सत्य है कि जन अधिकार पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य होने के कारण एवम एक अच्छे गणित के टीचर के रूप में जो मेरी ख्याति है उसको धूमिल करने की साजिश किया गया और हो रहा है। बताया जाता है कि हर घर जिसको शिक्षा पद्धति से जोड़े वे सदैव प्रसन्न रहते हैं तथा विद्यार्थी इन्ही की तरह के अध्यापक अपनी कक्षा में चाहते हैं। आज से लगभग 5 साल पहले सन 2016 में विद्यालय के ऊपर थाना कोतवाली में केस दर्ज किया गया। जिसमे श्री कुशवाहा के ऊपर वैसे कोई केस दर्ज नहीं है। किंतु राजनैतिक विद्वेष के वजह से कुछ राजनीतिज्ञों के प्रभाव में गलत तरीके से धारा 14 (1) की कार्रवाई एमपी सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के नाम से जमीन फतुल्लापुर में है। के केवल एक मात्र प्रबंधक हैं जबकि वे वाराणसी में रहते है। समय-समय पर अपने पैतृक गांव आना जाना लगा रहता है। सूत्र बताते है कि जमीन तथा उस पर अर्ध निर्मित भवन ट्रस्ट का है ट्रस्ट की सम्पत्ति व्यक्तिगत किसी की संपत्ति नहीं हुआ करती है। कुर्क कर दिया गया है जो कि गलत है। उनके द्वारा बताया गया कि इस कार्यवाही को करते समय प्रशासन यह उद्घोष करता है कि महेन्द्र कुशवाहा पर नकल कराने का तथा पर्चा आउट करने का आरोप है उसी के अंतर्गत कार्यवाही की गई है। आश्चर्य की बात तो यह है जो गाजीपुर में रहते ही नहीं है बनारस में टीचिंग करते हैं। फिर कैसे जिला प्रशासन नकल कराने का आरोप लगाया, इसे तो स्वयं जिला प्रशासन ही जानता होगा। आखिर किसके प्रभाव में आकर इतना बदनाम करने वाला साजिश रचा गया। यद्यपि छवि धूमिल करने का हर संभव प्रयास किया गया। वे बताते हैं कि यदि मैं एक अच्छा टीचर न होता तो ये लोग कभी भी अंदर का रास्ता दिखाने में कोताही नहीं किये। यह ईश्वर की कृपा ही है कि हमेशा से मजबूत और कभी भी अपने आपको घबरा नहीं पाया हूँ। हालांकि मेरे चाहने वाले लोग यह बार-बार कहा करते हैं कि तुम कैसे इस तरीके के सदमे को बर्दाश्त कर ले रहे हो, वे बताते हैं कि हम गलत होते तो सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाते परंतु हम तो एकदम सही हैं। हम जिला प्रशासन से लेकर सरकार के सामने यही कहुगा कि गलत नहीं हूँ। मीडिया के एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि राजनैतिक द्वेश एवं जातिगत आधार को मानकर कार्यवाही की जा रही है। एक परिवार, एक जाति विशेष के आधार पर लक्ष्य बनाकर बार-बार कार्यवाही करना इस बात का द्योतक है की कार्यवाही पूरी सोची समझी रणनीति के द्वारा ही किया जा रहा है। बड़े दुख के साथ अपनी बात को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामने रखा कि विद्यालय जिसमें लगभग 1350 छात्र- छात्राएं एक साथ अध्ययन कर रहे थे उसे सीज कर शिक्षा का कार्य प्रभावित किया गया जबकि माननीय प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि सभी को शिक्षा खासतौर से बच्चियाँ और बच्चे दोनों साथ में पढकर देश का कल्याण करें। परंतु यहां तो द्वेष वस शिक्षा के मंदिर को ही बंद कर दिया गया है।