विकास खंड क्षेत्र के स्वामी आत्मानंद इंटर कालेज टोडरपुर के परिसर में महाशिवरात्रि के अवसर पर दो दिवसीय प्रवचन कार्यक्रम के दूसरे दिन अमेठी से पधारे मानस मर्मज्ञ,कथा प्रेमी श्री रामदेव दास महाराज जी ने रामचरित मानस व भगवद्गीता के विविध कल्याणकारी प्रसंगों की सविस्तार ब्याख्या के दौरान कहा कि भगवान परीक्षा का विषय नहीं बल्कि प्रतीक्षा का विषय है अर्थात सच्चे भक्त को अपने इष्ट की परीक्षा नही बल्कि अपने निर्मल मन से उनमें भरोसा करते हुए अपने को भगवानमय होने की प्रतीक्षा करने चाहिए। आपने स्पष्ट किया कि भगवान राम पहले अपने भक्तों की पुरूषार्थ की परीक्षा लेते हैं और जब लगने लगता है कि उनका भक्त जंग हार जायेगा तो किसी न किसी रूप में उसके सहायतार्थ दोङ पडते है क्योंकि भक्त की हार मे अपनी हार देखते हैं।इसका दृष्टांत आपने द्रोपदी चिरहरण प्रसंग की चर्चा करके दिया। उन्होंने सद्गुरु के कार्य बताते हुए कहा कि एक सच्चा गुरु का कार्य मात्र जीवजगत के जीवों का मुख सांसारिक मोहमाया से मोड़कर भगवान की ओर करना है। रामदेव महराज जी ने राम को अनोखा बताने का दृष्टांत जटायु पक्षी का अन्त्येष्टि अपने हाथों द्वारा करना बताया। कहा कि वहीं अपने पिता की अंत्येष्टि स्वयं नही किया।यह कहकर स्पष्ट किया कि प्रीति की रिति का निर्वाह हमे पुरूषोत्तम भगवान राम से सीखना चाहिए। उन्होंने दुनिया में समस्त अवलंब भगवद्गीता को बताया। आपने कहा कि भक्त को हर मुश्किल में भगवान को याद नही करना चाहिए बल्कि जब जब हर तरफ से संघर्ष करके निराश हो जाओ तब करुण पुकार करो ,वह दौड़कर आयेगा जैसे कि ग्राह से कई दिनों तक संघर्ष करते हुए जब गजराज निराश हो गया तो भगवान को पुकार लगाया। उन्होंने ब्रम्हांड का चित्रण एक मानव का खींचते हुए कहा कि पर्वत/पहाड़ इसकी अस्थियां है और जीवनदायिनी नदियां ही इसकी नसें है और आदि/अनादि
राम का सदा स्मरण/भगवद्गीता का वाचन ही अमर प्राण है।
कथा प्रवचन कार्यक्रम से पहले महाशिवरात्रि के अवसर पर अठाईस फ़रवरी से एक दिवसीय हरिकिर्तन का आयोजन किया गया थाऔर अगले दिन समापन के बाद भगवान शिव का दूग्धाभिपेक अनुष्ठान किया गया।
अंतिम दिन दोपहर से देर शाम तक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय परिवार के समस्त शिक्षकों/शिक्षकोतर कर्मचारियों एव स्थानीय लोगों का सक्रिय सहयोग यहा।