भावरकोल : शेरपुर गाव में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में अयोध्या से पधारी रामकथा वाचिका साध्वी साधना जी छठवें दिन सत्संग और संत चरित्र कथा वृतांत पर श्रीराम कथा का प्रसंग रहा। कथावाचिका साध्वी साधन जी ने कही की आज भी रामचरित मानस में संस्कार और संस्कृति पूर्ण रूप से समाहित है।
तुलसी दास ने भगवान राम दरबार का जीवन सटीकता के साथ भरा बताया है। राम की मर्यादा, वीरता और सामान्य जन के प्रति उनके प्रेम से अत्यंत प्रभाव शाली रहा है। भगवान राम द्वारा साधारण मानव के रूप में किए गए सद्कर्मों की कथा को सामान्य लोगों तक पहुंचाने के लिए ही तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की। जिसके सुनने से व्यक्ति का कल्याण होता है। मानस प्रेम की रसधार बहाते हुए कहा कि प्रेम एक आग है इसमें उतरकर ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है। कौशल्या के घर में परमात्मा था। इसीलिए वहां पर राम प्रगट हुए। प्रेम को उपासना बताते हुए कहा कि सच्चे प्रेम में कभी भी वासना नहीं हो सकती है। आत्मा, मन, बुद्धि, अंहकार, आनन्द जिस प्रकार सभी में होते है। वैसे ही प्रेम भी सभी में होता है। मगर झूठ के कारण प्रेम प्रगट नहीं हो पाता है। उन्होंने प्रेम के दो रूप बताते हुए कहा कि प्रेम विकृत तथा संस्कारवान तो होता है। विकृत प्रेम में प्रतिशोध की भावना तथा भीषणता होती है। जबकि संस्कारवान प्रेम शालीन तथा मर्यादा में सुशोभित होता है। अंहकार में जीना मनुष्य की प्रवृत्ति होती है।इससे बचना है तो सत्संग या सन्त के सानिध्य में चले जाए।इस मौके पर यज्ञकर्ता कन्हैया जी महाराज, सजंय जी महाराज, मुख्य यजमान ओमप्रकाश राय, विक्रमा राय, आनन्द राय पहलवान, चिंटू उपाध्याय, प्रेम शुक्ला, ऋषिकेश राय ,बब्बन राय पवन यादव सहित अन्य लोग मौजूद रहे।