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हार्टमन इण्टर कालेज में शिक्षक दिवस पर हुआ रंगारंग कार्यक्रम आयोजित

गाजीपुर जनपद के हार्टमन इण्टर कालेज हार्टमन पुर में गुरूवार को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधानाचार्य फादर फेलिक्स राज एवम बिद्यालय के समस्त शिक्षक एवम शिक्षिकाओं के द्वारा मदर तेरेसा एवम डा राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण एवम पुष्पांजलि अर्पित किया गया।कार्यक्रम का संचालन सी डी जान और संजना जायसवाल के द्वारा किया गया।प्रधानाचार्य के द्वारा सभी शिक्षकों को फूल भेंट किया गया।शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में बिद्यालय के छात्र एवम छात्राओं के द्वारा एक से बढकर एक गीत नृत्य एवम नाटक प्रस्तुत किया गया।बधाई गीत.मदर टेरेसा को समर्पित गीत मां तुझे सलाम.नृत्य एकांकी गुरु महान.नृत्य राजस्थानी. कवि सम्मेलन. पंजाबी नृत्य. प्रहसन की बहुत शानदार प्रस्तुती की गयी।जूनियर की छात्राओं ने मां मदर तेरेसा पर आधारित एक नृत्य नाटक प्रस्तुत किया गया।कार्यक्रम की प्रस्तुती पर उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गडगडाहट से स्वागत किया।कार्यक्रम में बास्केटबॉल मैच का आयोजन अध्यापकों एवम सिनियर के छात्रों के मध्य में हुवा जिसमें शिक्षक टीम बिजयी रही।इस मैच में फादर फेलिक्स राज और फादर तेन सिंग ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुवे फादर फेलिक्स राज प्रधानाचार्य ने कहा की एक शिक्षक कभी भी साधारण नही हो सकता क्योंकी वही एक मात्र ऐसा इंसान है जो आपको साधारण से असाधारण बनाने की क्षमता रखता है। डा राधा कृष्णन का कहना था की यदि शिक्षा सही प्रकार से दी जाये तो समाज से अनेक बुराईयों को मिटाया जा सकता है।शिक्षक का जीवन बच्चों के साथ कैसे व्यतीत होता है वह कभी बच्चा बनकर उन्हें समझाने की कोशिश करता है तो कभी दार्शनिक की तरह उनके प्रश्नों का उत्तर उनके स्तर पर दे रहा होता है। डा राधाकृष्णन समूचे बिश्व को एक बिद्यालय मानते थे आपका मानना था की शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। इस लिए विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।समाज को समाज बनाने का काम करते हैं समाज के शिल्पकार यानि शिक्षक। शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार होते हैं जो बिना किसी मोह के इस समाज को तराशते हैं। शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना भी होता है। शिक्षकों की इसी महत्ता को सही स्थान दिलाने के लिए ही हमारे देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पुरजोर कोशिशें की जो खुद एक बेहतरीन शिक्षक थे।फादर फेलिक्स राज ने कहा की गुरु-शिष्य का संबंध – गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को अलग अलग रूप-रंग के फूलों से सजाता है।
जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। आज शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने के लिए तमाम सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षकों को भी वह सम्मान मिलना चाहिए जिसके वे हकदार हैं। एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है।’शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींचकर उन्हें शक्ति में निर्मित करते हैं।मदर तेरेसा के बारे में भी सभी लोगों को जानकारी देते हुए फादर फेलिक्स राज ने मदर तेरेसा के बारे में बिस्तार से बताया।सभी छात्रों ने अपने क्लास रूम के बाहर कलात्मक रंगोली एवं अपने क्लास रूम को बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया था।हर क्लास में छात्रों ने अपने गुरूजनों के साथ केक काट कर फूल माला एवम उपहार भेंट कर बहुत ही प्रशन्नता एवं हर्षोल्लास पूर्वक शिक्षक दिवस मनाया।कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य फेलिक्स राज के द्वारा सभी शिक्षकों के लिए प्रिती भोज का आयोजन किया गया।इस मौके पर अनिल मिश्रा, प्रभाकर मणि त्रिपाठी, उदय कुमार,सी डी जान, दिनेश पाठक, स्वर्ण लता, इशरत अतिया, महात्मा प्रसाद, शुभ नरायण  यादव ,राकेश जोसफ ,राजेश कुशवाहा, श्री राम।सिस्टर अंजना,सिस्टर हेलेन, ममता, गीता,अजीत कुमार, श्री राम ,अजय कुमार. सत्य प्रकाश, सन्तोष वर्मा,प्रेम कुमार, अरविन्द भारती,सत्येन्द्र पाण्डेय ,राजेश कुशवाहा.मनोज कुमार.श्याम बिहारी. अरबिन्द राय.विरेंद्र यादव समेत सभी शिक्षक शिक्षिका एवं छात्र छात्राऐं उपस्थित रही।