(दैनिक फॉर मीडिया- अजय कुमार यादव की रिपोर्ट)
भांवरकोल/गाजीपुर:देश-दुनिया में हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जड़ी-बूटियों की तरफ भी अपना रुख कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी खेती कम हो रही है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान भी औषधीय खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें, इसमें औषधीय खेती के लिए सरकार द्रारा किसानों को अनुदान दिया जा रहा है।इसी उद्देश्य से भांवरकोल ब्लाक अंतर्गत ग्राम सभा शेरपुर कलाँ में कार्यवाहक ग्राम प्रधान चंद्रभूषण राय के आवास पर ग्रामीणों के बीच औषधीय पौधों को आयुर्वेदिक गुणों की जानकारी सहित प्रदर्शित किया गया।वन विभाग के अधिकारी आशीष राम ने ग्रामीणों को उनके आसपास में उपलब्ध औषधीय पौधों की पहचान कर उनके औषधीय गुण एवं प्रयोग के तरीके के बारे मे जानकारी दी गई।साथ ही हड़जोड़, चिरचिरा, निंगुर, गिलोय, टारपुंखा, इबी, दुबी सहित अन्य औषधीय पौधे का प्रयोग एवं पौधे का किस बिमारी में उपयोग होता है स्थानीय भाषा में समझाया। साथ ही विभिन्न औषधीय पौधों की पहचान कराई। किसानों द्रारा बोई जाने वाली फसल भादी, तिल्ली, उड़द, मक्का, इमली, टेमरू, सीताफल, बेल पत्ते, काला कुड़ा, देशी ज्वार, बाजरा के उपयोग बताकर बाजारों मे मिलने वाली अंग्रेजी दवाइयों की अपेक्षा देशी व घरेलू दवाइयों का उपयोग करने का फायदा बताया गया। उन्होंने कौन सा पौधा किसके लिए उपयोग में लिया जाना चाहिए बताया। पौधों में कौन सा गुण पाया जाता है, नजरिया, जिरवानिया, भोपला से पेट संबंधी बीमारी दूर करने के उपाय बताए गए।
ग्रामीणों को बताया कि वर्षों से खेत में एक ही तरह की फसल उगाने से पैदावार क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में खेत में फसल विविधता के लिए औषधीय खेती करने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से दी जाती है।आगे बताया की ‘खेत की एक ही तरह की फसल लेने से खेत की उर्वरकता प्रभावित होती है। ऐसे में किसानों को फसल विविधता के लिए सलाह दी जाती है। फसल विविधता के इस क्रम में अगर सब्जिया गेहूं और बाजरे के खेतों को खाली होने के बाद अगर किसान उसमें औषधीय पौधों की खेती करेंगे तो यह उनके लिए बहुत लाभकारी होगा। अगली बार जब वह उसमें बाजरे और गेहूं या सब्जिया उगाएंगे तो उसकी पैदावार अधिक होगी।’
इन औषधियों में मिल रहा अनुदान
इस योजना के तहत सर्पगन्धा, अश्वगंधा, ब्राम्ही, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच और आर्टीमीशिया जैसे औषधीय पौधों की खेती के लिए सरकार की तरफ से अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के पास अपने नाम से कम से कम एक एकड़ खेती की जमीन, खेत के पास सिंचाई साधन, किसान के पास बैंक में खाता और चेकबुक के साथ ही अपनी पहचान के लिए वोटर आईकार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड या पासपोर्ट में से कोई एक होना चाहिए। लाभुकों का चयन पहले आओ और पहले पाओ की तर्ज पर किया जाएगा।
इस मौके पर पर कार्यवाहक ग्राम प्रधान चंद्रभूषण राय ,राकेश यादव, श्याम नारायण राय, राकेश राय,परशुराम राय,कृपा शंकर राय, पारस राय, श्याम बहादुर राय, दीपू पंडित,अवधेश राय, छोटक राय ,सत्य प्रकाश आदि लोग मौजूद रहे।