मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : शासन की ओर से कटान प्रभावित सेमरा व शिवरायकापुरा गांव के सामने ठोकर का निर्माण कराए जाने से गांव के पास तो खतरा करीब-करीब टल गया है। हालांकि जलस्तर घटने के साथ ही शिवरायकापुरा गांव से लेकर शेरपुर के बीच व्यापक पैमाने पर कृषि भूमि का कटान होने से आने वाले समय में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। इधर, दो-तीन दिनों के भीतर जलस्तर घटने के दौरान किसानों का करीब पांच बीघा से अधिक जमीन कटान की भेंट चढ़ चुकी है। इसको लेकर किसान चितित नजर आ रहे हैं।
कटान के चलते करीब छह वर्ष पूर्व सेमरा का आधा व शिवरायकापुरा गांव का 90 प्रतिशत आबादी का हिस्सा गंगा की धारा में समाहित हो गया। गांव के अस्तित्व पर संकट देख शासन की ओर से रामतुलाई से लेकर सेमरा गांव के पश्चिम सिरे तक करीब डेढ़ किलोमीटर से अधिक दूरी में बोल्डर पिचिग का कार्य कराकर ठोकर बनाया गया है। वर्ष 2016 में बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त हुए ठोकर का मरम्मत कार्य भी पूर्ण कराया जा चुका है। इस वर्ष जलस्तर बढ़ने पर गांव को तो कोई खतरा नहीं हुआ लेकिन रामतुलाई स्थित साधु राय के डेरा से लेकर शेरपुर तक कटान शुरू हो गया। जलस्तर नीचे की ओर से खिसकने के दौरान दो तीन दिनों के बीच हुए कटान से साधु राय, बृजनारायण राय, प्रद्युम्मन यादव, गंगा सागर राय, संवरू यादव, गोवर्धन यादव, मदन यादव, चंद्रबलि राय, विनोद राय, कमला यादव, दीनानाथ राय, अंबिका उपाध्याय, हृदय यादव, बजरंगी यादव, राधेश्याम राय, भोला यादव आदि किसानों का पांच बीघा से अधिक कृषि भूमि गंगा की धारा में समाहित हो गई। कटान के चलते दीनानाथ राय के खेत में जल परिवहन के लिए लगाया गया टावर पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। यही नहीं परिया 53 स्थित एक सरकारी नलकूप भी गंगा के मुहाने तक पहुंच गया है। यही नहीं अगर कटान रोकने का उपाय नहीं किया गया तो इस क्षेत्र के युवाओं को उच्च शिक्षा देने वाले पशुपति नाथ राय स्मारक महाविद्यालय का वजूद भी संकट में पड़ सकता है। इस संबंध में योगेश गुप्ता, अनूप यादव, मनोज प्रजापति, दीनानाथ राय, विनोद राय आदि ने बताया कि अगर इन जगहों पर हो रहे कटान को रोकने का उपाय काफी जरूरी है। अगर उपाय नहीं हुआ तो वर्तमान में में तो कृषि भूमि का नुकसान हो रहा है। आगे आबादी भी प्रभावित होने लगेगी।