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2023 तक मीजल्स रूबेला को खत्म करने को लेकर आयोजित कार्यशाला

ग़ाज़ीपुर:स्वास्थ्य विभाग ने मीजल्स-रूबेला को खत्म करने के लिए 2023 का लक्ष्य रखा है। इसको देखते हुए मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ जीसी मौर्या की अध्यक्षता में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में दो दिवसीय जिला स्तरीय मीजल्स-रूबेला सर्विलांस (निगरानी) प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन किया गया जिसमें जनपद के सभी ब्लॉकों के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दो-दो डॉक्टर और बीपीएम ने प्रतिभाग किया।

कार्यशाला में डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ पंकज सुथार ने प्रशिक्षण दिया। उन्होने बताया – निगरानी एवं टीकाकरण को सुदृढ़ करके 2023 तक मीजल्स रूबेला को खत्म करना है। इसके लिए बच्चों का पूर्ण प्रतिरक्षण 95% से ज्यादा करना होगा तभी 2023 तक मीजल्स-रूबेला को खत्म करने में कामयाब हो पाएंगे। इस कार्यशाला में टीकाकरण संबंधित उच्च जोखिम वाले इलाकों को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया।

क्या है ‘मीजल्स रूबेला’ (एमआर)

डॉ पंकज सुथार ने बताया – एमआर यानि ‘मीजल्स रूबेला’ को देश में खसरे-रूबेला के नाम से जाना जाता है। खसरा और रूबेला बच्चों में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। इसके कारण बच्चों को विकलांगता और असमय मृत्यु का खतरा बना रहता है। यदि गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को रूबेला या खसरा हो जाए तो इसका असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे या जन्मे नवजात शिशु के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है।

क्या है एमआर टीकाकरण

स्वास्थ्य विभाग ने ‘मीजल्स रूबेला’ अभियान की शुरूआत 6 अगस्त 2018 को डबल्यूएचओ की मदद से की थी। इस योजना के अंतर्गत 9 माह से लेकर 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है। एमआर टीके को आमतौर पर खसरे की बीमारी से बचाव के लिए बच्चों में लगाया जा रहा है।

इस वर्कशॉप में डॉ. आर के सिन्हा, डॉ आशा राघवन, डॉ डीपी सिन्हा, डॉ केके वर्मा के साथ ही ब्लॉकों के प्रभारी चिकित्साधिकारी और बीपीएम मौजूद रहे।