लखनऊ।पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ, अमेठी, बाराबंकी, फैजाबाद, सुल्तानपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ होते हुए कुल 9 जिलों को जोड़ रहा था, अब इस फेहरिस्त में बलिया भी शामिल हो गया है. ये उत्तर प्रदेश का दसवां जिला होगा, जो जिसको पूर्वांचल एक्सेप्रेसवे से जोड़ा जाएगा. दरअसल योगी सरकार ने ऐसा करके एक तीर से दो निशाने लगाये हैं क्योंकि अव्वल तो सपा सरकार के कार्यकाल से ही बलिया के लोगों और नेताओं की तरफ से पूर्वांचल एक्सप्रेस के विस्तार की मांग की जा रही थी. दूसरा इसी के जरिए सरकार ने दिल्ली, नोएडा से बिहार तक बेहतर कनेक्टिविटी की सुविधा दे दी है. कारण ये है कि पूर्वांचल के आखिरी जिले के बाद उजरिया घाट से बिहार के बक्सर का इलाका शुरू हो जाता है. जाहिर हैसरकार बलिया को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे देकर नोएडा से बिहार तक ट्रैफिक फ्री यातायात की सुविधा देने जा रही है। कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश अवस्थी ने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को बलिया से जोड़ने के लिए बलिया लिंक एक्सप्रेसवे के डीपीआर को आज कैबिनेट ने मंजूरी दी है. आपको बताते चलें कि डीपीआर बनाने के लिए एक करोड़ का खर्चा आएगा, जिसकी लागत 30 से 40 करोड़ प्रति किलोमीटर होगी और कुल खर्चा 1600 करोड़ का खर्चा आएगा. आपको ये बताते चलें कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को बलिया से जोड़ने के लिए तीन विकल्पों पर विचार किया जा रहा था, जिसमें पहला विकल्प गाजीपुर-बलिया मार्ग एनएच-31 का है, जबकि दूसरा मुहम्मदाबाद- चितबड़ा गांव का है, जो पहले से ही टू-लेन है और तीसरा मार्ग कासिमाबाद-रसड़ा मार्ग का है. तीनों विकल्पों में लखनऊ से बलिया की दूरी अलग-अलग होगी। योगी सरकार के महत्वांकांक्षी योजनाओं में शामिल पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को लेकर सियासी गलियारे में भी खूब चर्चा है. समाजवादी पार्टी का ये दावा है कि आगरा एक्सप्रेसवे बनाकर अखिलेश यादव ने योगी सरकार के सामने नजीर पेश की है, जबकि योगी सरकार पिछले 2 सालों में एक्सप्रेसवे को लेकर सिर्फ चर्चा ही कर रही है. हालांकि जून 2017 में शुरू हुए एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य को लेकर सरकार की ये मंशा है कि अगस्त 2020 तक मुख्य मार्ग पर गाड़ियों का आवागमन शुरू हो जाए