गाजीपुर जनपद के डुहियां सरयां स्थित श्री हनुमत लाल जूनियर हाई स्कूल के प्रांगण में आयोजित श्री लक्ष्मी नरायण महायज्ञ के निमित्त भव्य कलश यात्रा निकाली गयी।कलश यात्रा यज्ञ मंडप के पास से चल कर गंगा तट पर पहुंची।गंगा तट पर कलश यात्रियों के द्वारा गंगा स्नान के पश्चात वैदिक विधि विधान से कलश पूजनोपरांत कलश में गंगा जल लेकर कलश यात्री एवम श्रद्धालु गांव का भ्रमण करते हुवे वापस यज्ञ मंडप तक आये।हाथी घोडा एवम बैंड बाजे के साथ कलश यात्रीयों के जयघोष से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया था।
इस कलश यात्रा का नेतृत्व अयोध्या वासी मानस मर्मज्ञ भागवतवेत्ता श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री शिव राम दास जी फलाहारी बाबा के द्वारा किया गया।इस अवसर पर अपने मुखारविंद से राम कथा रूपी अमृत का उपस्थित कथा प्रेमियों को रसपान कराते हुवे आपने कहा की प्रकाश के लिए प्रयास करना पड़ता है किंतु अंधेरा अनायास ही चला आता है।
गुरु का वचन सूर्य के किरण के समान होता है जो शिष्य के मोह रूपी रात्रि को दूर करता है।रावण भले ही त्रेता में व्यक्ति के रूप में रहा पर रावण का एक रूप विनय पत्रिका के अनुसार मोह भी है और मोह के रूप में आज भी रावण शाश्वत रूप में सर्वत्र विद्यमान है। उसका साथ कुंभकरण मेघनाथ अहंकार आदि बुराइयां साथ देती हैं। इन बुराइयों को नष्ट करने के बाद ही रावण रूपी मोह को मारा जा सकता है।साधक को इन खट् विकारों के प्रति सदैव सचेत रहना चाहिए तथा सतत संघर्षरत रहना चाहिए। राम के पहले रावण का कृष्ण के पहले कंस का जन्म होता है। प्रभु की उपासना में सौंदर्य और माधुर्य के साथ-साथ ऐश्वर्य का भी स्मरण रहना आवश्यक है। ऐश्वर्य का विस्मरण ही संशय को जन्म देता है। सीता जी मारीच के प्रसंग में रूप के प्रति आसक्त होकर प्रभु के ऐश्वर्य को भूल गई जिसके चलते राम पर संशय की और सीता का हरण हुआ। सती को भी राम पर ही संशय हुआ।गीता कहती है की संशययुक्त आत्मा का विनाश निश्चित है। कलयुग सब युग से अच्छा है किंतु शर्त यह है कि विश्वास हो।
आज लोगों को अंधविश्वास पर विश्वास है लेकिन विश्वास पर विश्वास नहीं है। विश्वास अजन्मा होता है अखंड आनंद का नायक होता है।क्रोध को दया से तथा बुराई को भलाई से परास्त किया जा सकता है। भक्तों के प्रेम के वश होकर परमात्मा निरंकार से नराकार होता है अव्यक्त से उसकी अभिव्यक्ति होती है। निर्गुण ब्रम्ह हृदय में तथा सगुण ब्रह्म आंखों में रहता है।