ग़ाज़ीपुर, 5 अगस्त 2019 – विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत शहर परियोजना के विशेश्वरगंज आंगनबाड़ी केंद्र पर धात्री और गर्भवती महिलाओं के साथ ही आई हुई अन्य महिलाओं को जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता के द्वारा स्तनपान से होने वाले लाभ और के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया।उन्होंने बताया शिशु को स्तनपान कराने शारीरिक पोषण व आत्मिक संतुष्टि दोनों ही मिलती है। स्तनपान, मां और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होता है व दोनों का मूलभूत अधिकार भी है। मां व शिशु के बीच आपसी संबंध स्थापित करने में स्तनपान की अहम भूमिका होती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी अरुण कुमार दुबे ने बताया जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करा देना चाहिए। इसके अतिरिक्त शिशु को शहद, पानी आदि कुछ भी न दें। मां का पीला-गाढ़ा दूध (कोलॉस्ट्रम) पिलाने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इससे मिलने वाले एंटीबॉडी की मदद से बच्चा भविष्य में होने वाली डायरिया, निमोनिया आदि संक्रामक रोगों से सुरक्षित रहता है।
शहर परियोजना अधिकारी सोना सिंह ने बताया नवजात बच्चों को बोतल द्वारा दूध पिलाने से बच्चे में डायरिया एवं अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। इससे बच्चे में पानी की कमी हो जाती है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण डायरिया है जिसे स्तनपान द्वारा बचा जा सकता है। बोतल वाले दूध पर पले बच्चों में गैस व पेट दर्द की समस्या अधिक होती है। बोतल व चम्मच से दूध पिलाने के विपरीत स्तनपान एक एक्टिव प्रोसेस है, जिसमें बच्चा अपने जोर से दूध खींचता है। इससे उसके जबड़े बेहतर विकसित होते हैं। स्तनपान पर पले बच्चों का मानसिक विकास बेहतर होता है। बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराएं। इसके बाद ऊपरी ठोस आहार शुरू करें व स्तनपान को डेढ़ से दो वर्ष तक जारी रखें। इस दौरान मां को अपनी खुराक का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आंकड़ों के अनुसार स्तनपान द्वारा शिशु मृत्युदर में 20 से 25 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
स्तनपान से होने वाले लाभ
· दूध पिलाने के दौरान शिशु मां के हावभाव देखकर भी सीखता है व उसका संपूर्ण विकास शीघ्र होता है।
· स्तनपान द्वारा विभिन्न संक्रमण एवं बीमारियों से बच्चे को बचाता है।
· स्तनपान माँ एवं शिशु के बीच आपसी लगाव को बढ़ाता है।
· स्तनपान माँ को स्टैन, गर्भाशय व अंडाशय के कैंसर से बचाता है।