मुहम्मदाबाद। मुहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा लहराने के बाद रणबांकुरों ने गाजीपुर के मुहम्मदाबाद इलाके को आजाद करा लिया था। कलेक्टर मुनरों ने पूरी ताकत झोंक दी थी इसके बावजूद शेरपुर के नौजवानों ने तहसील पर यूनियन जैक हटाकर तिरंगा लहरा दिया। सात दिनों तक इलाका आजाद रहा। उसके बाद अंग्रेजों का दमन चक्र चला। 29 अगस्त को शेरपुर गांव में अंग्रेजों ने उत्पात किया।
महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो के आह्वान पर देश में नौ अगस्त 1942 से अहिंसक आंदोलन शुरू हो गया था। इसे अगस्त क्रांति के नाम से जाना जाता है। उसी आंदोलन के समर्थन में 18 अगस्त 1942 को मुहम्मदाबाद तहसील भवन पर तिरंगा फहराते हुए आठ नौजवान शहीद हुए थे। यह घटना कई मायने में अनूठी थी। नौ अगस्त को मुंबई में जिस भारत छोड़ों आंदोलन का ऐलान किया गया वह गाजीपुर जिले में कुछ ज्यादा ही असरकारी दिखा। 16 अगस्त को गौसपुर हवाई अड्डे को तहसनहस कतर दिया गया और मुहम्मदाबाद पोस्ट आफिस क्रांतिकारियों ने फूंक दिया। उसके बाद 17 अगस्त को शेरपुर स्थित जूनियर हाईस्कूल में क्रांतिकारियों की बैठक हुई और तय किया गया कि इलाके को आजाद करा लेना है। मुहम्मदाबाद तहसील पर यूनियन जैक लहराने नहीं दिया जाएगा। इलाके में बाढ़ आई थी। शेरपुर शहीद बाग से दो हजार से ज्यादा युवकों की टोली ने मुहम्मदाबाद की तरफ कूच किया। कुछ नाव से चले तो कुछ तैरते हुए। मुहम्मदाबाद से पहले नई रणनीति बनाई गई। टीम को दो टोलियों में बांट दिया गया। तय था कि कोई अंग्रेजों के दमन का प्रतिकार नहीं करेगा लेकिन एक टोली पीछे से जाकर अंग्रेज सिपाहियों से बंदूकें छीन लेगी। टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. शिवपूजन राय सामने की तरफ से तहसील भवन में दाखिल हुए। डॉ. तिलेश्वर राय के नेतृत्व वाली टोली पीछे से दाखिल हुई। आंदोलन की तीव्रता की सूचना पर गाजीपुर का कलेक्टर मुनरों भी वहां पहुंच गया था। पीछे से आई टोली ने दो सिपाहियों को काबू में कर लिया। उनकी बंदूकें छीन ली गईं। मगर तब तक सामने की तरफ गोलीबारी शुरू हो गई थी। तहसील भवन पर तिरंगा फहराते समय डॉ. शिवपूजन राय सहित आठ जवान शहीद हुए। इनमें नेतृत्व कर रहे वंशनारायण राय, रामबदन उपाध्याय, वशिष्ठ राय, रिषेश्वर राय, नारायण राय, राजनारायण राय, वंशनारायण राय ने शहादत दी। मगर इसी बीच सीताराम राय ने तिरंगा लहरा दिया। उन्हें आठ गोलियां लगी थीं। उनको जिंदा शहीद कहा जाता था। इस घटना के बाद आंदोलन और उग्र हो गया। अंग्रेज सिपाहियों ने शेरपुर गांव में सात दिन बाद कहर बरपाया। 29 अगस्त 1942 को अंग्रेजी फौज लगाकर शेरपुर गांव में लूटुपाट एवं आगजनी की। भागते हुए पुरुषों एवं महिलाओं पर गोलियां चलाईं। इसमें तीन लोग शहीद हुए। गांव में सामूहिक अर्थदंड लगाकर जबरदस्त वसूली की गई। शहीदों की याद में मुहम्मदाबाद शहीद पार्क में प्रतिवर्ष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। उनकी याद में बने शहीद पार्क, शहीद स्तंभ एवं शहीद स्मृति भवन पूरी तरह उपेक्षित पड़ा है। इससे स्थानीय जनता काफी मर्माहत महसूस कर रही है।
(अजय कुमार यादव की रिपोर्ट)