गाजीपुर:सम्भावना कला मंच द्वारा आयोजित सम्भावनाएँ-2020 आनलाईन कला प्रदर्शनी की शुरुआत भारत और भारत के बाहर न्यूयॉर्क, बुलगारिया बंगलादेश नेपाल और अन्य देशों से आये आमंत्रित कलाकारों की कलाकृतियों से हो गयी । कला प्रदर्शनी का उद्घाटन भारत के जाने माने अमूर्त चित्रकार और कला गुरू “युसूफ” (भोपाल ) मुम्बई के दृष्य चित्रकार विनोद शर्मा और ख्यात लब्ध कलाकार कविता नायर जी के कलाकृतियों से की गयी जिसे सम्भावना कल मंच के फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है । सम्भावनाएँ2020 में आयी कलाकृतियाँ दर्शकों को काफी आकर्षित कर रही हैं । उन्हीं कृतियों मे से चुनिन्दा कृतियों को आपके समक्ष कलाकृति और उसकी विवेचना प्रस्तुत किया जा रहा है । जिससे इन समकालीन कला के कृतियों को समझा बुझा जा सके।प्रयास रहेगा कि अगले भाग में और शेष कृतियों को प्रस्तुत किया जायेगा
यूसुफ, समकालीन भारतीय चित्रकला के क्षेत्र का जाना माना नाम है जो अमूर्तन में कार्य करते हैं. युसूफ खान का युसूफ सर में तब्दील हो जाना अपने आप में उनके छात्रों के बीच प्रसिद्धि को बयां करता है युसूफ अपनी रेखाओं के लिए जाने जाते हैं उनके चित्रों से कला के आध्यात्मिकता को महसूस किया जा सकता है ।युसूफ उन कलाकारों में से हैं जो सिर्फ चित्र नहीं बनाते बल्कि कला पर अपने विचार भी समय-समय पर व्यक्त करते रहें राजा से एक बार पूछा गया कि आप भारत के किस प्रकार से प्रभावित हैं उत्तर था सिर्फ और सिर्फ युसूफ से। यूसुफ के पेंटिंग में सबसे महत्वपूर्ण तत्व रेखा लाईन है । ये लाईन कहां से शुरु होते हैं और कहाँ समाप्त होती है इसे तय नहीं किया जा सकता । इनके चित्रत्रों में लाईन पूर्णत: स्वतंत्र है जिसका न कोई आदी है न अन्त । यूसुफ के चित्र चित्र नहीं बल्कि आध्यात्मिक सौन्दर्य को साधने का साधन है।
विनोद शर्मा पीछले तीन दशकों से मुम्बई में रहकर दृश्य चित्र का निर्माण कर रहे हैं। इनके कलाकृतियों में चट्टान पहाड़ नदी और आसमान एक अद्भुत रुप में दृश्यत होते हैं। ये दृष्य देखे नहीं बल्कि मन के भीतर से आते हैं जो ऐसी एक दुनिया का निर्माण करते हैं जो सौन्दर्य
की नई परिभाषा गढ़ते दिखते हैं।
(कविता नायर की कलाकृति)
छापाकला और चित्रकला दोनों विधा पर समान अधिकार रखने वाली कविता नायर की कलाकृतियाँ समकालीन कला जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं | कैनवास भी एक रोजनामचे की तरह होता है जिसपर कलाकार की अनुभूतियां विस्तार पाती हैं | कलाकार के संवेदनशील मानस पर प्राकृतिक और मानवीय घटनाएं अच्छी बूरी प्रभाव डालती हैं | इन अनुभूतियों के साथ ही उसकी खुद की आकांक्षाएं और सपने रेखा और रंग के रुप में एक दृश्य की रचना करते हैं | कविता नायर की कलाकृति में कलाकार की अंतस चेतना के स्पंदन को महसूस किया जा सकता है | परिपक्व रंग स्वच्छंद रेखाएं और तकनीक की दक्षता प्रेक्षकों के सामने मानवीय अन्तर्मन का खुबसुरत संसार रचते हैं | उनकी कलाकृतियों को देखना एक समकालीन मनुष्य के हृदय से रुबरु होना है |
(संतोष वर्मा की कलाकृति) (पवन कुमार कुमावत की कलाकृति)
चित्रकला व कला के विभिन्न माध्यमों में सृजन करने वाले चर्चित समकालीन कलाकार “संतोष वर्मा” मुलत: गाजीपुर के ही हैं जो इन दिनो गाजीयावाद में रहकर स्वतंत्र कलाकार के रुप में कार्य कर रहे हैं। तपी हुई विविधवर्णी प्यारी छटाएं , सधी हुई खिलंदडी़ रेखाएं और अनेक प्रकार की ढे़र सारी परिचित अपरिचित सरल आकृतियां जब संयोजित होकर एक कलाकृति का स्वरुप ग्रहण करती हैं तो जटिलतम जीवन स्थितियां भी सहज ही अभिव्यक्त हो उठती है | साधारण सी दिखने वाली आकृतियां असाधारण स्थितियों को किस तरह अभिव्यंजित करती हैं इसे देखना हो तो कलाकार संतोष वर्मा के चित्रों को देखें |
गहरी पृष्ठभूमि के ऊपर हल्की गहरी लयपुर्ण छटाएं सहज ही किसी को आकर्षित कर लेती हैं | ऊपर से अपने गठन में अति सरल आकृतियां दर्शक के मानस पटल पर अंकित हो जाती हैं | उनकी कल्पननाशील कलाकृतियां दर्शक को मानवीय उत्कंठा और उत्कर्ष का दर्शन कराती हैं | जटिलतम स्थितियों को सरल आकृतियों के माध्यम अभिव्यक्त करना असाधारण कलात्मकक कौशल की मांग करता है जिसे लंबे कलात्माक जीवन संघर्ष और अनुभव से संतोष वर्मा जी ने अर्जित किया है | कलाकार संतोष वर्मा की कलाकृतियों को देखना एक सुखद एहसास से गुजरना है | वे एक सिद्ध कलाकार हैं |
किशनगढ़ शैली में काम करने वाले ख्यातलब्ध कलाकार “पवन कुमार कुमावत” किशन गढ. के चित्रकार हैं। सम्भावनाएँ 2020 के अतिथि कलाकारों में एक अलगपहचान बनाये हुए हैं जिन्हे दर्शकों को काफी सुन्दर लगी। कुमावत जी के द्वारा बनाये जल रंग से बने मनोहर दृश्य चित्र दर्शक का का मन मोह लेते हैं , किशनगढ़ की लघु चित्रणशैली ईनकी खास विशेषता है | पवन कुमावत एक ऐसे चित्रकार हैं जो चित्रण के दौरान जल रंग पर नियंत्रण के लिए कठोर साधना करते हैं | पवन कुमावत ने जल रंग और दृश्य चित्रण को ही अपनी रचनाशीलता का माध्यम बना लिया है | रंगों के सुरुचि पूर्ण बहाव व आत्मविश्वास से भरे धब्बों का इस्तेमाल कर जीवंत दृश्य की रचना करना पवन जी का प्रिय शगल है | दृष्य चित्रण के साथ ही उन्होंने लघु चित्रण शैली को समसामयिक आयाम दिया है | यह अलग बात है कि लघु चित्रण शैली अपने समय और समाज की उपज थी लेकिन यह भी सच है कि वर्तमान के निर्माण में इतिहास की मिट्टी भी मिली होती है | उसमें बहुत कुछ महत्वपूर्ण होता है जिसे आज के संदर्भ में देखने परखने की जरुरत है | खासकर संवेदनहीनता के इस दौर में , लघु चित्रण शैली के भावप्रवणता के तत्व हमारे काम के हो सकते हैं या फिर भविष्य हीनता के दौर में , वहां की स्वप्निल कल्प नाशीलता बड़े काम की हो सकती है | पवन कुमावत की रचनाशीलता का यह भी एक आयाम है दर्शकों को अपने तरफ खिंचता है ।
(सुनील ममदापुर की कलाकृति)
चर्चित समकालीन कलाकार और कला गुरु “सुनील ममदापुर” हैदराबाद यूनिवर्सिटी में कला का अध्यापन कर रहे हैं अपने छात्रों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं साथ ही साथ एक बेहतर कलाकार के रुप में भी प्रसिद्ध हैं । समकालीन कला में एक तरफ जीवन से अलगाव का चलन देखने को मिल रहा है तो दूसरी तरफ गहराई से जुडा़व के भी उदाहरण कम नहीं है | सुनील ममदापुर की कलाकृतियाँ आधुनिक जीवन से गहराई से जुड़ी हुई रचनाशीलता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं | आदर्शों के ढहने और नैतिक पतन के इस युग में , आधुनिक जीवन के नैतिक आयाम से जूडी़ हुई सुनील जी की कलाकृतियाँ निःसंदेह इस दौर की महत्वपूर्ण सर्जना है जिसे गौर से रेखांकित किए जाने की जरुरत है | उन्होने देश विदेश की महत्वपूर्ण प्रदर्शनी में भागीदारी के साथ , नेशनल अवार्ड सहित अनेक अवार्ड अपने नाम की है | कला अध्यापन के साथ ही उन्होंने कला जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है | सुनील जी का काम इस दौर में इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे केवल प्रयोग के लिए प्रयोग करने के बजाए , प्रयोगधर्मिता को एक सार्थक विस्तार दे रहे हैं | कला के विभिन्न आयाम का विस्तार तभी सार्थक है जब उसका कोई महत्वपूर्ण मायने हो | उनकी रचनाशीलता इस दौर की अति महत्वपूर्ण रचनाशीलता है |
(कामिनी बघेल की कलाकृति) (कल्याण जोशी की कलाकृति)
समकालीन महिला कलाकारों में कामिनी बघेल की कलाकृति का एक अपना अलग ही पहचान है । कामिनी बघेल इन दिनो झांसी मे रहकर कला कर्म कर कलाकर्म कर रही हैं । आँखों के जरीए किसी के अन्तर्मन में झांकने की बात तो हम सबने सुनी है मगर इस हुनर पर अधिकार कम ही लोग प्राप्त कर पाते हैं | इस हुनर को देखना हो तो सिद्धहस्त कलाकार कामिनी बघेल के चित्रों को देखें | उनके चित्रों की आकृतियों की आँखें आपको बांध लेंगी | शारिरीक मुद्राएं खास कर मुख मुद्रा और हस्त मुद्रा जैसे आपसे बातें करेंगी | उनकी आकृतियों की बनावट की समरुपता उनके एक सिद्धहस्त कलाकार होने की पहचान है | परिपक्व वर्णयोजना , भावपूर्ण रेखाएं और अर्थपूर्ण संयोजन मन मोह लेती है |कामिनी बघेल के चित्रों से रुबरु होना इस दौर के स्त्रियों से रुबरु होना है , सामाजिक स्थितियों से रुबरु होना है | उनके चित्र दर्शकों से देर तक ठहर कर देखने की मांग करते हैं |
राजस्थान , भीलवाड़ा के प्रसिद्ध ‘फड़ चित्रकार’ कल्याण जोशी जी की कलाकृति सम्भावनाएं 2020 की एक अलग ही आकर्षण है ।राजस्थान एक तरफ जहां राजवाडो़ , महलों , शास्त्रीय कला शैली के लिए जाना जाता है तो दूसरी तरफ बंजारों , जीवंत जनजातीय कला और मजबूत लोक कला शैली के लिए भी उसकी प्रसिद्धि कम नहीं है | फड चित्रकला शैली वहां की एक महत्वपूर्ण कला शैली है जिसकी प्रसिद्धि देश विदेश तक है | कल्याण जोशी उस कला शैली के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं | फड चित्रकला असल में कपड़े या पर्दे पर बनाई जाने वाली लोक कला शैली है जिसे कलांतर में पेपर और कैनवास पर बनाया जाने लगा | इस कला शैली का चित्रण करने वाले प्रमुखतः जोशी कहे जाते हैं | वर्तमान समय में इस कला शैली में पारम्परिक विषय वस्तु के साथ समसामयिक विषय वस्तु को भी शामिल की जा रही है जो कि किसी भी लोक कला शैली की निरंतरता को बरकरार रखने लिए जरुरी है | इस कडी़ में कल्याण जोशी जी के काम को देखना महत्वपूर्ण है जिन्होंने इस कला शैली को सार्थक आयाम दिया है |
(संजू दास की कलाकृति)
संजू दास एक स्व प्रशिक्षित कलाकार हैं जो मूलत: मैथली भाषी हैं । इन दिनो समकालीन महिला चित्रकारों अपना विशेष स्थान रखती हैं । गांव और उसका वातावरण को बहुत पास से अनुभव की हुई हैं जिसकी वजह से उनकी कलाकृतियों में एक स्वभाविक लोच का सुखद दर्शन किया जा सकता है | गांव का सरल दृश्य , स्त्री मन की सरल आकांक्षा आदि उनके चित्रों के प्रमुख विषय होते हैं | एक कलाकृति में अनेक आकृतियों को बडी़ सहजता से वे शामिल करती हैं | सरलता , सहजता तथा चटख रंग उनके कलाकृतियों की प्रमुख विशेषता है | उनके चित्रों में एक साथ मनुष्य पशु , पेड़ – पौधे , नदी , खेत मैदान , आसमान का दर्शन करना अद्भुत है | इस जटिल समय में इतनी सरल अभिव्यंजना बहुत मुश्किोल है | ऐसी सरल रचनाशीलता संजु दास जैसी स्वप्रशिक्षित कलाकार में ही हो सकता है।
(डॉ. रामबली प्रजापति की कलाकृति)
चित्रकार, मूर्तिकार व अन्य माध्यमों में समकालीन विषयों को अपने कलाकृतियों से प्रकट करने वाले समकालीन कलाकार डॉ. रामबली प्रजापति मऊ के रहने वाले हैं जो दिल्ली में रहकर स्वतंत्र कलाकार के रुप में कार्य कर रहे हैं। ये समकालीन कला में पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व करते हैं । डॉ. रामबली प्रजापति जितने ही उत्कृष्ट मूर्तिकार है उतने ही सधे हुए चित्रकार भी हैं | किताबों को लेकर उन्होंने उल्लेखनीय काम किया है| गठरी वंचित तबके की पहचान की तरह है | गठरी में , बड़ी कठिनाई से अर्जित की गई जीवन की अति आवश्यक चीजें होती हैं | रामबली प्रजापति की गठरी में ऐसी किताबें हैं जिसमें ज्ञान होता है | हां ज्ञान बड़ी कठिनाई से अर्जित किया गया ज्ञान , जो जीवन में प्रगति का मार्ग बनाता है | उस किताब की गठरी को कलाकार इंस्टॉल कर , हमें एक नये अनुभूति प्रदान करता है | किताबें एक सीढ़ी की तरह है यह बात तो हम सब जानते हैं , रामबली प्रजापति की कलाकृतियां इसका प्रत्यक्ष दर्शन कराती हैं | यर्थार्थ रुपाकार को भावार्थ कलाकृति में बदल देने का हुनर रामबली प्रजापति जैसे साधक ही हासिल कर सकते हैं |
ऐसे ही अनेक कलाकार हैं जो अपने कलाकृतियों से सम्भावनाएं 2020 को समृद्ध कर रहे हैं। इनके अलावा देश के हर एक कोने से कलाकृतियाँ सम्भावना कला मंच द्वारा आयोजित सम्भावनाएं में शामिल हो रही हैं| प्रदर्शनी में प्रतियोगिता के लिए आये कलाकारों की कला कृतियाँ आमंत्रित कलाकारों की कला प्रदर्शनी के बाद प्रदर्शित की जायेंगी