कई दिनों से वेंटीलेटर सपोर्ट पर चल रहे भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। वे 84 साल के थे।
उनके निधन की जानकारी उनके बेटे अभिजीत ने ट्वीट कर दी।
मुखर्जी को हाल ही में किसी इलाज के लिए दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनको कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया।
इसके बाद उनके दिमाग की सर्जरी की गई थी।
मुखर्जी ने खुद ट्वीट कर दी थी कोरोना संक्रमित होने की जानकारी
मुखर्जी ने 10 अगस्त को ट्वीट किया, ‘मुझे अन्य कारणों से अस्पताल गया था, जहां जांच में मुझे कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। मैं अनुरोध करता हूं कि जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं वो सेल्फ क्वारंटाइन में चले जाएं और अपनी जांच कराएं।’
कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद की गई थी दिमाग की सर्जरी
कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति के मस्तिष्क में खून के थक्के जमने की भी बात सामने आई थी। खून के थक्कों को हटाने के लिए उनकी आपातकालीन जीवन रक्षक सर्जरी की गई थी।
सर्जरी के बावजूद उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
इसके बाद को अस्पताल की ओर से जारी किए गए बुलेटिन में उसकी हालत को बहुत अधिक नाजुक बताया गया था।
प्रणब मुखर्जी ने 13वें राष्ट्रपति के रूप में संभाला था कार्यभार
मुखर्जी ने पीएम संगमा को हराकर 25 जुलाई, 2012 को देश के 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद वह 25 जुलाई, 2017 को सेवानिवृत्त हुए। वह राष्ट्रपति बनने वाले पहले बंगाली थे।
प्रणब मुखर्जी ने हासिल की थी DLit की मानद उपाधि
प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर, 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले के किरनाहर के निकट मिटरी गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
उन्होंने वीरभूमि के सूरी विद्यासागर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। कलकत्ता विश्वविद्यालय से इन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री प्राप्त की थी।
इसके बाद इन्होंने DLit की मानद उपाधि भी हासिल की थी। वह एक बेहतर राजनेता होने के साथ शानदान वकील भी थे।
ऐसा रहा प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक करियर
मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1969 में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सदस्य के रूप में की थी। इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में वे फिर चुने गए।
1973 में औद्योगिक विकास विभाग में केंद्रीय उप-मंत्री बने और 1997 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया था।
2004 में इन्होंने पहली बार लोकसभा की जंगीपुर (पश्चिम बंगाल) सीट से जीत हासिल की थी।
इन प्रमुख राजनीतिक पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे मुखर्जी
मुखर्जी ने इंदिरा गांधी सरकार में 15 जनवरी, 1982 से 31 दिसंबर, 1984 तक वित्त मंत्री, पीवी नरसिम्हा राव सरकार में 24 जून, 1991 से 15 मई, 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष और 10 फरवरी, 1995 से 16 मई, 1996 तक विदेश मंत्री का पद संभाला था।
इसी तरह मनमोहन सिंह सरकार में 22 मई, 2004 से 26 अक्टूबर, 2006 तक रक्षा मंत्री और फिर 24 जनवरी, 2009 से 26 जून, 2012 तक वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी।
मुखर्जी को पिछले साल किया गया था ‘भारत रत्न’ से सम्मानित
पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने जीवन के सबसे बड़ी उपलब्धि साल 2019 उस समय हासिल की थी, जब उन्हें अपनी बेहतरीन सेवा के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। 2007 में उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था।