अगर ब्यूरोक्रेसी झूठे ही चाहे किसी को फंसाना, परेशान करना तो वह साल भर तक आराम से जेल में रखकर किसिम किसिम के आरोप लगाकर प्रताड़ित कर सकती है. वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय के मामले में ऐसा ही हुआ. कई महीने जेल में रहने और मीडिया ट्रायल के जरिए पूरे देश में बदनामी झेलने वाले उपेंद्र राय के लिए सीबीआई ने अब यह लिखकर दे दिया है कि उन पर लगे आरोप सही नहीं पाए गए. रुपये-पैसे का हिसाब-किताब बिलकुल दुरुस्त है, एक भी पैसा इधर-उधर नहीं पाया गया. मनी लांड्रिंग के आरोप भी ग़लत निकले।
इस तरह से सीबीआई ने उपेंद्र राय को पूरी तरह क्लीन चिट दे दी है. तो, सवाल अब ये है कि जिन लोगों ने उपेंद्र राय को फंसाया था, जिसका उल्लेख भड़ास4मीडिया में शुरुआत से किया जा रहा है, क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? शायद नहीं. क्योंकि हमारे देश में अफसरों को तो बेहिसाब अधिकार दिए गए हैं, किसी को फंसाने, परेशान करने, जेल भेजने तक के लिए. पर अगर खुद अफसर ग़लत पाए गए तो उन्हें आरोपी बनाने, उनके खिलाफ मुकदमा लिखवाने, उन्हें जेल भिजवाने के मौके बेहद कम हैं. अगर हैं भी तो इसके लिए इतने पापड़ बेलने पड़ेंगे, कोर्ट कचहरी में इतने पैसे खर्चने होंगे कि कोई आम आदमी तो किसी उत्पीड़क थानेदार या भ्रष्ट अफसर को सबक नहीं ही सिखा सकता।
केंद्रीय जांच ब्यूरो यानि सीबीआई ने इस साल 18 मार्च 2019 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में एक जवाब दाखिल किया
जिसमें सीबीआई ने साफ-साफ कहा है कि उपेंद्र राय पर एक भी पैसे का आरोप सही नहीं पाया गया. इसलिए मनी लांड्रिंग के आरोप फर्जी हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी मामले में उपेंद्र राय को जमानत देने के अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि उपेंद्र राय के इनकम टैक्स रिटर्न को देखने से पता चलता है कि उन्होंने एक एक पैसे का सही हिसाब दिया है. उनके वित्तीय लेन-देन का जो हिसाब है, उसमें कहीं भी कोई गड़बड़ी नहीं दिख रही है. इसलिए टैक्स चोरी या संदिग्ध लेन-देन के आरोप कहीं नहीं ठहरते. कोर्ट ने माना कि उपेंद्र राय ने अपने आईटीआर में हर एक रुपए की जानकारी घोषित की है. इसे देखकर पता चलता है कि उनके माध्यम से कोई भी संदिग्ध लेनदेन नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने अवैध तरीके से एयरपोर्ट एंट्री पास रखने के आरोप में वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के घर पर छापा मार कर उन्हें गिरफ्तार किया था. इस मामले में उपेन्द्र राय को सीवीसी, कानून मंत्रालय और नागरिक मंत्रालय से क्लीन चिट मिल गई।
इस मामले में तब पटियाला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट वापस कर दी थी और दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि एंट्री पास बनाने में किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं हुई है।