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मनीषा राय हत्याकांड : कोर्ट की दखल के बाद सलाखों में आरोपी पति, ससुर की तलाश जारी

गाजीपुर । कहते हैं न्याय की चक्की, धीरे तो चलती है पर पीसती बड़ी बारीक है, तीन साल पहले सदर कोतवाली क्षेत्र में हुए मनीषा राय हत्याकांड के आरोपी पति अभिशेष राय, निवासी डेढ़गाँव थाना सुहवल गाज़ीपुर को आज से तक़रीबन 3 साल पहले 27 अक्टूबर 2019 को अपनी पत्नी मनीषा राय का गला दबा के हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर ली थी। लेकिन बाद में पुलिस ने राजनैतिक दबाव में आकार मात्र 2 दिन में केस पर फ़ाइनल रिपोर्ट लगा के केस को रफ़ा दफ़ा कर दिया था। लेकिन मृतक के मायके वालों ने हार नहीं मानी, और न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, आखिरकार उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद तीन साल् बाद पत्नी के हत्यारोपी पति अभिषेष राय को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया।उसके बाद वादी मुक़दमा गोविंद जी राय जो मनीषा राय के अपने सगे जीजा थे और भाई अभिषेक राय आदि ने भाग दौड़ करके तत्कालीन एडीजी वाराणसी बृज भूषण के जनता दरबार में गुहार लगा के फ़ाइनल रिपोर्ट को कैन्सल करा, दुबारा न्यायिक जाँच का आदेश पारित कराया था, इसके बावजूद भी राजनीतिक दबाव में पुलिस का रवैया ढ़ुल मूल ही रहा। उसके बाद वादी की तरफ से अप्रैल 2021 में मामला उच्च न्यायालय हाई कोर्ट पहुँचा, कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और गम्भीरता से सब कुछ देखा और पुलिस जांच में देरी पर फटकार लगाते हुए जल्द से जल्द जाँच की रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करने की बात कही। तब हाई कोर्ट के दबाव में पुलिस ने जाँच की और अभिशेष राय, उसके पिता उमेश राय, ग्राम-पोस्ट- डेढ़गाँव , को को मनीषा राय के हत्या का दोषी माना। उच्च न्यायालय इलाहाबाद के हस्तक्षेप के बाद अभिशेष राय, पिता उमेश राय को पुलिस ने जेल भेज दिया है। बता दें कि श्रीमती मनीषा राय बिहार प्रान्त की थीं, उनकी मौत 27 अक्टूबर 2019 को हुई थी, और इस मामले में गिरफ्तारी मई 2022 में हुई। वह भी कोर्ट के फटकार केबबाद। मनीषा के भाई अभिषेक ने कहा, कहते हैं न सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। जिस मामले में आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए थी उसमें ढाई साल से ज्यादा वक्त लग गया। एक आम आदमी के खिलाफ जब दहेज हत्या या घरेलू उत्पीडऩ का मामला दर्ज होता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार करने में पल भर का समय बर्बाद नहीं करती। पुलिस कानून की दुहाई देकर लडक़े समेत उसके परिवार को सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। लेकिन जब यही केस किसी रसूखदार परिवार के खिलाफ दर्ज होता है तो पुलिस गूंगी-बहरी हो जाती है। तमाम साक्ष्य के बावजूद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं करती बल्कि खुद छानबीन में जुट जाती है। कड़ी से कड़ी मिलाती है और पीडि़त परिवार को धैर्य रखने को कहती है। मनीषा के परिजनों ने पुलिस में जो एफआईआर लिखवाया था उसमें कहा था कि मनीषा का पति दहेज के लिए उसे आए दिन पीटता था।मनीषा राय के भाई अभिषेक आनंद के मुताबिक मनीषा की शादी बहुत धूमधाम से हुई थी। शादी में अच्छा-खासा दहेज दिया गया था। शादी के बाद से ही मनीषा को ससुराल वाले परेशान करने लगे थे। उनके साथ अक्सर मारपीट की जाती थी।लेकिन इस देश में एक जगह ऐसी है जहां सबकी सुनवाई होती है। जी हां, जिसको कहीं न्याय नहीं मिलता उसे इस देश की अदालत में न्याय मिलता है। मृतका के भाई अभिषेक कहते हैं, यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी। मेरे जीजा जी गोविंद जी राय की कोशिशों का नतीजा है कि आज आरोपी सलाखों के पीछे है। पुलिस ने तो मामले को रफा-दफा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा था। पुलिस तो शुरु से आरोपियों का साथ दे रही थी।
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