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शिक्षक के देहदान का ऋणी रहेगा मेडिकल कॉलेज:प्राचार्य डॉoआनंद मिश्रा

गाजीपुर:मनिहारी ब्लॉक के यूसुफ़पुर गांव निवासी देश के जाने-माने यू-ट्यूबर, प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण दूबे के पिता सेवानिवृत्त शिक्षक मार्कंडेय दूबे जी बीते 6 नवंबर को दिवंगत होकर ईश्वर की मानव निधि के ईकाई रूप में प्रतिस्थापित हो गए. अपने जीवनकाल में ही देहदान का संकल्प पत्र भर कर अपने शरीर को उत्तम कार्य हेतु प्रशिक्षु चिकित्सकों के लिए समर्पित करने वाले मार्कंडेय दूबे का पार्थिव शरीर गाजीपुर शहर स्थित महर्षि विश्वामित्र चिकित्सा विज्ञान संस्थान को अर्पित कर दिया गया था.
महर्षि दधीचि की देहदान परंपरा को प्रतिस्थापित करते हुए मार्कंडेय दूबे के महात्म्य की प्रशस्ति में पैतृक निवास पहुंचे महर्षि विश्वामित्र चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्राचार्य प्रोफ़ेसर आनंद मिश्रा ने कहा कि दिवंगत मार्कंडेय दूबे जी ने दधीचि की परंपरा संकल्प के विस्तारक के रूप में हमारे मेडिकल कॉलेज को अपना शरीर देकर महापुण्य किया है, ताकि उनके जीवन विज्ञान के धनुष से कुरीतियों का संहार कर प्रशिक्षु डॉक्टर अपनी श्रमसभ्यता के रसायन शास्त्र को जनसरोकारी बना सकें।
उन्होंने आगे कहा कि मार्कंडेय दूबे जी की तेरहवीं के अवसर पर हमारे चिकित्सक उनके पैतृक गांव यूसुफ़पुर में जनसमुदाय के मध्य देहदान हेतु संकल्पबद्ध होने और शारीरिक चिकित्सा विज्ञान की प्रगति में महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे।
ब्लड बैंक के साकेत ने कहा कि चिकित्सा संस्थान को मार्कंडेय दूबे जी की देहराशि चिकित्सा विज्ञान संस्थान के उदीयमान डॉक्टरों ने लिए हुनरमंदी का मील पत्थर है. उनके देहदान से जनपदीय सीमाओं में रह रहे तमाम संवेदनशील जन देहदान हेतु जाग्रत होंगे. भूतपूर्व सैनिक आशीष सिंह राजू ने कहा कि मृत्योपरांत देहदान के समर्पण की भावना हमें विज्ञान के विज्ञानी को उर्जा देता है।
देहदान कर्ता मार्कंडेय दुबे के सुपुत्र ब्रज भूषण दुबे ने कहा कि जनपद में उनकी पूजनीय माता जी सहित कलावती राय का देहदान काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कराया गया है आगे जनपदीय मेडिकल कॉलेज के लिए व्यापक मात्रा में देहदान और नेत्रदान कराया जाएगा।
लेखक और विचारक तौसीफ़ गोया ने कहा कि इंतेकाल के बाद भी मार्कंडेय दूबे ने अपनी जीवन निधि से अनमोल अनुमोदन के रूप में अपने कनिष्ठ पुत्र ब्रजभूषण दूबे को समाज के आभूषण के रूप में निग़हबानी ख़बरदारी ज़िम्मेदारी के निर्वाह संस्कृति में अपना समुच्चय निवेश हेतु छोड़ा है. जीवन श्रृंगार के गीतकार मूलचंद ‘मासूम’ ने ‘चल रे सिंगार कर सजनी पिया घर जाना है’ गीतमाला से मार्कंडेय दूबे को गीतांजलि अर्पित की. शोकाकुल परिवारजनों के प्रति असीम और हार्दिक संवेदना के साथ गुल्लू सिंह यादव, प्रमोद अहीर, अमरजीत चौहान, चंद्रिका यादव, शशांक गुप्ता आदि शामिल रहे।