गहमर: प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ कामाख्या मंदिर में सप्तमी तिथि पर मंगलवार की रात महानिशा पूजा की गई। पूजा में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर के मुख्य पुजारी के नेतृत्व में पूजा-अर्चना की गई।मां के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। इससे पहले सुबह से ही मां कामाख्या की पूजा-अर्चना के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई। मां की आराधना के लिए यूपी, बिहार से भी कई लोग परिवार के साथ पहुंचे।
वही देर रात सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेज के प्रबंध निदेशक डॉ0 सानन्द सिंह सहित अन्य लोगो ने मत्था टेक माँ कामाख्या से आशीर्वाद मांगा।
डॉ सानन्द सिंह ने बताया कि नवरात्रि में मां शक्ति के 7वें रूप को कालरात्रि कहा जाता है। ये मां दुर्गा का सबसे रौद्र स्वरूप कहा जाता है। सप्तमी तिथि में मध्य रात्रि के समय मां का महास्नान होता है। इसके बाद रात में ही निशा पूजन किया जाता है। पूजा की शुरुआत 12 बजे रात होती है। इसमें मां का विधि विधान से पूजन किया जाता है। कई जगहों पर ये भी मान्यता है कि इसी पूजा के पश्चात बलि दी जाती है। कहते हैं कि इस पूजा को देखने मात्र से मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
नवरात्रि पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां दुर्गा के इस स्वरूप को कालरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रंग कृष्ण वर्ण यानी काले रंग का है। इस स्वरूप को देवी दुर्गा का रौद्र रूप भी कहा जाता है। इसके अलावा मान्यता है कि देवी जितनी रौद्र हैं उतनी ही आसानी से वर भी प्रदान करती हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है।