मुहम्मदाबाद :डिहवा केशवपुर में चल रहे सात दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में अयोध्या से पधारे प्रवचन करते श्री फलाहारी बाबा ने कहा कि संग का रंग बहुत पता होता है मनुष्य जैसा संग करता है वैसा ही उस पर रंग चढ़ता है इस जगत में कौन ऐसा व्यक्ति है जो सुसंग पाकर बडाई का पात्र ना बन गया हो और कुसंग पाकर शिकवा शिकायत का पात्र ना बना हो। कैकई खराब नहीं मंथरा के संग ने कैकई को बर्बाद कर दिया गोद और सिंदूर दोनों उजाड़ दिया। एक महारानी को भिखारी बना दिया। वनवास के बाद मां के कैकई जिंदा लाश बन कर जीवन यापन की है। नारी चाहे तो आपको आवाद भी कर सकती है और बर्बाद भी कर सकती है ।उर्मिला का चरित्र का वर्णन करते हुए फलाहारी बाबा ने कहा कि संजीवनी लेकर लंका जा रहे हनुमान को श्री भरत जी ने जब बाण मारा और हनुमान जी अयोध्या के धरती पर गिरे सारा रघुवंश इकट्ठा हुआ लक्ष्मण की मूर्छा का समाचार सुनकर सारे लोग रो रहे थे किंतु उर्मिला के चेहरे पर थोड़ा भी सीकन नहीं था श्री हनुमान जी ने पूछा कि तुम्हारा पति जीवन और मृत्यु से जूझ रहा है तुम्हें चिंता नहीं है और महिला ने जवाब दिया कि है हनुमान जी लंका के समरांगण में इस समय रो कौन रहा है और सो कौन रहा है बाण लक्ष्मण को नहीं राम को लगा है तभी तो राम के आंखों में आंसू है और लक्ष्मण राम के गोद में सो रहे हैं रही बात सूर्योदय की वह हनुमान जी आप थक गए होंगे आराम कर लीजिए मैं रघुवंश की बहू क्षत्रिय वंश क्षत्राणी पतिव्रता नारी वचन देती हूं कि जब तक आप पहुंचेंगे नहीं तब तक सूर्योदय में होने ही नहीं दूंगी और जब तक सूर्योदय होगा नहीं तब तक मेरे पति लक्ष्मण का जान जाएगा ही नहीं। युद्ध लक्ष्मण और मेघनाद में नहीं बल्कि युद्ध तो सुलोचना और उर्मिला में चल रहा है यदि मेरे से ज्यादा पतिव्रता सुलोचना होगी तब मेरा सुहाग उजड़ेगा। लक्ष्मण जी यदि वनवास के समय 14 वर्ष तक सोए नहीं तो उर्मिला 14 वर्ष तक आरती लेकर एक ही जगह पर लक्ष्मण की प्रतीक्षा करते हुए खड़ी रह गई। और हकीकत है की इंद्रजीत को जो लक्ष्मण ने बाण मारा बाण तो लक्ष्मण का था लेकिन शक्ति उर्मिला की थी इंद्रजीत के बाण में भी शक्ति का काम सुलोचना की शक्ति काम कर रही थी जालंधर के शरीर में सती वृंदा की शक्ति काम कर रही थी तुलसी के तपस्या में रत्नावली का बहुत बड़ा योगदान रहा बुध के सिद्धि में यशोधरा की शक्ति थी सत्यवान के आयु में सावित्री की शक्ति काम की जो मृत्युलोक से प्राण को वापस ले आई ।दुर्योधन के शरीर को मां गंधारी के दृष्टिपात की शक्ति ने वज्र बना दिया डिसंग परमा गंधारी की दृष्टि नहीं पड़ी वहीं अंग दुर्योधन का कमजोर हो गया जो मृत्यु का कारण बना मां का जहां आशीर्वाद नहीं होता वहां बेटा कमजोर हो जाता है। दिन में रामलीला रात में रासलीला यज्ञशाला की परिक्रमा तथा फलाहारी बाबा के प्रवचन में क्षेत्र की जनता श्रद्धा के साथ ज्ञान रूपी गंगा में भक्ति रूपी सागर में गोता लगा रही है वैदिक ब्राह्मणों के मंत्र से पूरा वातावरण पूजा में मन हो रहा है दोनों समय भंडारे में भी लोग भोजन कर रहे हैं गांव के नौजवान तथा बुजुर्ग यज्ञ की व्यवस्था में अपने समय की आहुति देकर सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।मुख्य यजमान राधेश्याम मिश्रा , हरिहर कुशवाहा राम भजन कुशवाहा गोविंद उपाध्याय शशिधर उपाध्याय गिरधर उपाध्याय जयराम यादव राज किशोर सिंह रामाशीष राजभर राम नारायण सिंह मनोज उपाध्याय विनोद गुप्ता ग्राम प्रधान शिवप्रसाद राजभर शिवमंगल यादव दीपक कुशवाहा सुदर्शन गुप्ता आदि लोग तन मन धन से यज्ञ को सफल बनाने का प्रयास कर रहे है।