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यज्ञ के दूसरे दिन आस्था प्रेमियों ने प्रवचन और रासलीला का उठाया आनंद

मुहम्मदाबाद:क्षेत्र के बंगेन्द गाव में चल रहे छः दिवसीय श्री रूद्र महायज्ञ में दूसरे दिन गुरूवार को प्राचीन विधि वैदिक रीति से अरणी मंथन से अग्नि प्रज्ज्वलित होने के साथ हवन पूजन शुरू हुआ।अयोध्या स्थित श्री माधव कुञ्ज के महंत श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास महाराज उपाख्य फलाहारी बाबा के देखरेख में चल रहे महायज्ञ में महाराज में कहा कि गुरु तत्व भारत चिंतन वल्लरी का वह पुष्प है जिसके सौरभ के बिना प्राणी मात्र यदि अग्रसरित होने की इच्छा रखता है तो केवल दम्भ मात्र ही सिद्ध होकर रह जाता है गुरु का कार्य अपने शिष्य के अंदर से अहंकार एवं ममकार को तिरस्कृत एवं परिष्कृत करते हुए जीवात्मा और परमात्मा का संबंध स्थापित कराना है स्थापित तो है ही जो ज्ञापित करा दे उसका नाम सद्गुरु है प्रभु श्रीराम के जीवन में वशिष्ठ जी महाराज गुरु की भूमिका अदा किए हैं तो विश्वामित्र जी सद्गुरु की भूमिका का निर्वहन करते हुए प्रभु श्री राम को विश्व के पटल पर लाकर एक आदर्श पुरुषोत्तम नरोत्तम की की उपाधि दिलवाए अहिल्या उद्धार की कथा करते हुए बाबा ने कहा कि एक भक्त प्रहलाद ने पत्थर से भगवान को प्रकट किया तो आज भगवान प्रभु श्री राम ने एक पत्थर से अहिल्या भक्ता को प्रकट किया। परमात्मा को पाने का दो ही रास्ता है प्रयास और प्रतीक्षा ।विश्वामित्र जी महाराज प्रयास से तपस्या से प्रभु श्री राम को प्राप्त किये है तो अहिल्या शबरी प्रतीक्षा से ही ब्रह्म की प्राप्ति की।इस मौके पर मुख्य जजमान नर्वदेश्वर राय ,दयाशंकर राय, कैलाश ठाकुर ,अरुण कुमार गुप्ता ,गंगासागर पाल ,सीताराम गुप्ता, श्रीधर राय गुप्तेश्वर राय मनीष राय ,प्रधान रवि कांत राय, डा0 श्रीकांत राय, शिक्षक स्वामी नाथ राय, राम व्यास राजभर, अंगद यादव ,रमाकांत वर्मा आदि लोग मौजूद रहे।