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आदेश में देरी, नाइंसाफी को जन्म देती है l इलाहाबाद हाईकोर्ट में अज़ान जनहित याचिका में फैसला सुरक्षित पर लोगों का विचार

(खान अहमद जावेद )
उत्तर प्रदेश जनपद गाजीपुर ll
केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार किसी सरकार का लिखित आदेश नहीं लेकिन शहीद वीर अब्दुल हमीद का जनपद गाजीपुर में जिला गाजीपुर के गांव में प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिए मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अज़ान की रोक के खिलाफ लोकतंत्र मौलिक अधिकार और धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद पर, इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका सांसद अफजाल अंसारी एवं अन्य कई लोगों द्वारा जनहित याचिका की गई जिसकी सुनवाई 5 मई 2020 को हुई लेकिन फैसला सुरक्षित होगयाl ,और अभी तक फैसला नहीं सुनाने पर मैंने मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र दिलदारनगर के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं कांग्रेस पार्टी के पीसीसी सदस्य फरीद अहमद गाजी से जानने का प्रयास किया तो उन्होंने साफ लफ्जो मे कहा यह संविधान मैं मिला मौलिक अधिकार, धार्मिक और जन भावनाओं से जुड़ा मामला हैl कोई नीजी मामला नहींl, इस लॉकडाउन की अनेकों समस्याओं से रुबरु एक विशेष समाज के साथ ऐसा व्यवहार जब होने लगेगा तो समाज का यक़ीन सरकारी तन्त्र से उठने लगे गाl और इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ लोकतंत्र और अदालत की जड़ों में घी डालने वाले जनप्रतिनिधि और उनकी मशीनरी होगी । क्या गाजीपुर से किसी नए आन्दोलन को जन्म देना चाहती है ?इससे तो साफ ज़ाहिर हो रहा कि जिला प्रशासन के आड में सरकार अपनी बदनियती छुपा रही हैl यह जनपद डॉन मुख्तार अहमद अंसारी वरिष्ठ स्वतंत्रासेनानी और शहीद वीर अब्दुल हमीद का जनपद हैl
कांग्रेस नेता फरीद अहमद गाज़ी ने कहां कि अज़ान रोक मामले के सभी जिम्मेदार नेक नियती का परिचय दे! अल्लाह से जंग फिरऔन भी नहीं जीता और उसका हश्र बुरा हुआl आज भी उसकी लाश अजायबघर में मौजूद हैl
गाजीपुर यूनिट के ए आई एम आई एम के अध्यक्ष अबू जफर खान का कहना था देर की न्याय अन्याय को जन्म देती हैl फैसले को सुरक्षित 10 दिन तक रखना इससे पीड़ित व्यक्तियों के मन में क्या विचार बनेगा? न्याय की देरी, देश हित में कभी नहीं होती हैl आदरणीय न्यायाधीश महोदय को तत्काल निर्णय देनी चाहिएl इससे कानुन और न्याय देने वाले की गरिमा बढ़ती है !
यही बात जब मैंने जनपद की सबसे पुरानी मोहम्मदाबाद कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सोनू राय से जब जानने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा कि हम देशवासी न्याय का सम्मान करते हैंl हमारा न्याय पर बहुत भरोसा होता हैl जनहित याचिका का आदेश 10 दिन से सुरक्षित रखना कहीं ना कहीं पानी मरता हुआ नजर आ रहा है lराज सरकार या केंद्र सरकार द्वारा कहीं भी अजान पर प्रतिबंध नहीं लगाu हैl जिला स्तर से मौखिक आदेश देकर रुकवाना सरकार को बदनाम करने की साजिश हैl
इसी क्रम में मोहम्दाबाद के समाजसेवी अमीर हमजा से जब पूछा बड़ा ही अजीब अंदाज में जवाब दिया कि मंदिर में पुजारी के घंटा बजाने से, मस्जिद के मोजिन द्वारा अजान पर प्रतिबंध लगाने वाले कितने बड़े विद्वान होl शराब की दुकानों पर भीड़, शराब खरीदने के लिए लग रही है! इस पर कभी किसी गोदी मीडिया ने सवाल नहीं पूछा l इस भीड़ में कितनी जमाती थे? मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए! उसी तरह न्याय के मंदिर में तत्काल किस अर्जी पर न्यायमूर्ति द्वारा फैसला नहीं आने पर, न्याय का गला घोटने के बराबर होता है l