गाज़ीपुर न्यूज़

बदलते समाज की मानसिक विकृति की देन है असंगठित अपराध : रजनीश राय (राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा किसान मोर्चा )

असंगठित अपराध में कभी भी किसी भी सरकार का न कोई योगदान होता है और न ही नियंत्रण.. चाहे वो किसी की भी सरकार क्यों न हो, वो बदलते समाज की मानसिक विकृति की देन होती है। हाथरस की घटना भी उसी में से एक है और किसी सरकार के पास कोई भी व्यवहारिक उपाय इसका नही हो सकता है…सामाजिक बदलाव में विकृति पैदा करने वाले कुछ खास तरह के प्रतिबंधों को छोड़कर…. हाँ घटना के बाद न्याय सरकार की जिम्मेदारियों में से एक है और मुझे लगता है कि स्थानीय प्रशासन की कुछ बेवकूफियों को छोड़कर न्याय के लिए जितनी त्वरित कार्यवाही योगी सरकार ने की है उतनी शायद किसी को अपेक्षा नही थी क्योंकि किसी भी ऐसी घटना के हो जाने के बाद पीड़ित पक्ष के पास उस व्यक्ति के लौट पाने का विकल्प नही रह जाता ऐसे में देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी से जांच और न्याय की मांग या अपेक्षा सबको रहती है लेकिन तब जबकि मामले की गंभीरता के साथ साथ कई संदिग्घ परिस्थितियों के सामने आने की बू आने के साथ साथ सरकार ने उसको cbi जांच की सिफारिश केंद्र सरकार से कर दी और केंद्र सरकार ने उसको स्वीकार भी कर लिया तब अन्य राजनीतिक दलों का या मीडिया का अनावश्यक प्रदर्शन और हस्तक्षेप समझ से परे नही बल्कि आसान साजिश को बल देने का काम कर रहा है। वो तो भला हुआ कि इस खबर को हाथरस की स्थानीय प्रिंट मीडिया में जगह मिल गयी जिसमे पहले का बयान तथा fir और बाद के बयानों में अंतर स्थापित करने में सुविधा हो गयी है , हाँ ये दीगर बात है की इस मामले को सी बी आई जाँच तक पहुंचाने में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने बहुत बड़ा रोल निभाया है अन्यथा इससे बड़ी और जघन्यतम हत्या बलिया के pcs अधिकारी मणि मंजरी राय की हुई थी लेकिन प्रिंट मीडिया को छोड़ दिया जाए तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सपोर्ट के अभाव में वो न्याय की प्रकिया भी दम तोड़ गयीं शायद वो दलित नही थी या फिर एक खास बिरादरी की नहीं थी …बहरहाल विपक्ष का प्रदर्शन अपनी शुप्त पड़ी राजनीति और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को अपनी trp बनाये रखने के एक माध्यम के अलावा कुछ भी नही है। अन्यथा वास्तविक तौर पर अगर सभी राजनीतिक दल या फिर मीडिया न्याय की बात करती है तो उसको अपना अगला टेंट राजस्थान, गोंडा या फिर बलिया में डालना चाहिए चाहिए वैसे सी बी आई जांच की सिफारिश के साथ अब संदीप और उसके साथियों को न्याय की उम्मीद तथा मनीषा के वास्तविक हत्यारों को सजा मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है।