ताज़ा खबर धर्म/आस्था पूर्वांचल ख़बर प्रादेशिक

श्री माधव कुंज में 16 वीं पुण्यतिथि पर साकेतवासी वेणीमाधव दास को सन्तों ने किया नमन्

गुरु अव्यक्त रूप में सदैव शिष्य के पास विद्यमान रहता है-फलाहारी बाबा

भगवान राम की जन्मस्थली पुण्य सलिला सरयू के तट पर राम घाट स्थित श्री माधव कुंज आश्रम में श्री श्री 1008 ब्रह्मलीन श्री वेणी माधव दास जी महाराज की 16 वीं पुण्यतिथि पर बहुत ही धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित किया गया।यह कार्यक्रम श्री माधव कुंज के महन्त श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलाहारी बाबा एवं राम जानकी मंदिर उधुरा ब्रह्मपुर बक्सर बिहार के महन्त श्री भरत दास जी महाराज के द्वारा आयोजित किया गया।इस अवसर पर श्री माधव कुंज में अखण्ड श्री राम चरित मानस एवं विशेष पूजन अर्चन हवन आरती.जेवनार. पुष्पांजलि व भण्डारे का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ साकेतवासी सद्गुरुदेव बेणी माधव दास के चित्र पर उपस्थित महामंडलेश्वर. संत.महन्त एवं भक्तों के द्वारा पुष्पांजलि से की गयी।

अपने संबोधन में श्री राम जानकी मंदिर उधुरा बक्सर बिहार के महन्त श्री भरत दास जी महाराज ने कहा की।

महर्षि विश्वामित्र की पौराणिक धर्मनगरी बक्सर के ब्रह्मपुर क्षेत्र में श्रीराम मंदिर शान्ति धाम उधुरा के संस्थापक ब्रह्मलीन संत वेणीमाधव दास महाराज की आज 16 वी पुण्यतिथि है।पूज्य संत वेणीमाधव दास महाराज का भिवानी में विशिष्ट स्थान था। लाेग आपका बहुत ही आदर पूर्वक सम्मान करते थे। विद्वता में गुरु जी अपने आप में महान थे।आपका कोई जोड नहीं था आप अपने आप में अद्भुत एवम बेजोड थे।मुझे खुशी है की मुझे अपने सद्गुरु की सेवा करने का और उनके सामिप्य और सानिध्य में रहने का सुअवसर मिला था।मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय मेरे गुरूवर की सेवा में समर्पित रहा।

महंत राम भजन दास ने अपने संबोधन में कहा की
गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं। जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन।
महंत अंगद दास ने कहा की
सद्गुरु की प्रेरणा से आत्मा चैतन्यमय बनती है। गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं। उनका जीवन शिष्य के लिये आदर्श बनता है। उनकी सीख जीवन का उद्देश्य बनती है। अनुभवी आचार्यों ने भी गुरु की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए कहा है- गुरु यानी वह अर्हता जो अंधकार में दीप, समुद्र में द्वीप, मरुस्थल में वृक्ष और हिमखण्डों के बीच अग्नि की उपमा को सार्थकता प्रदान कर सके।
महंत श्याम दास ने पुष्पांजलि कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा की अगर आप गुरु की ओर एक कदम बढ़ाते हैं तो गुरु आपकी ओर सौ कदम बढ़ाते हैं। कदम आपको ही उठाना होगा, क्यों की यह कदम आपके जीवन को पूर्णता प्रदत्त करता है।

अपने संबोधन में श्री लक्ष्मण किला के किलाधीश महंत मैथिली रमण शरण दास जी महाराज ने सन्त वेणीमाधव दास जी महाराज को नमन् करते हुवे कहा की आप अद्वितीय और प्रकांड धार्मिक सन्त थे।आपका ब्यक्तित्व काफी विशाल था।आप निर्मल छवि त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति थे।उनकी महिमा अनन्त है उसे किसी के भी द्वारा शब्दों में ब्यक्त कर पाना असंभव है।उन्होंने अपने शिष्यों को अच्छा मार्ग प्रदान किया।उनके सभी शिष्य अपने गुरू के दिये शिक्षा.संस्कार के बल पर समाज को शिक्षित.सुसंस्कृत. एवं सुगन्धित करते हुवे राष्ट्र हित समाज हित में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुवे भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने के लिए प्रयत्नशील है।
अपने संबोधन में स्वामी अंगदास जी ने कहा की सन्त बेणीमाधव दास जी सन्त समाज के एक महान सन्त थे।आज आप सशरीर उपस्थित नहीं है लेकिन आज भी उनकी कृपा हम सभी पर निरंतर बनी है।आपकी कमीं सदैव हम सभी को महसूस होती है।
श्री 1008 महामंडेलश्वर शिवरामदास महाराज उपाख्य फलाहारी बाबा ने अपने संबोधन में कहा कि अपने कर्मो से बनायी हुई कीर्ति ही मनुष्य को अमर बनाती है

त्याग और परमार्थ का जीवन ही समाज का कल्याण करता है।आपने कहा की गुरू का महत्व एवम गुरू के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।गुरू की महिमा अनंत है। गुरु बहुत कुछ देता है किन्तु सद्गुरु के माध्यम से मनुष्य को सबकुछ मिल जाता है। महामण्डलेश्वर श्री शिवराम दास जी फलाहारी बाबा ने कहा की गुरु कभी मरते नहीं हैं वल्कि सूक्ष्म शरीर से सदैव अपने शिष्य के साथ रहते है।गुरू शिष्य को हर मोड़ पर मार्गदर्शन कराने की अनुभूति भी कराते रहते है।जीवन में यदि सच्चा गुरु मिल जाए तो जीवन में बहुत बड़ी क्रांति बदलाव और परिवर्तन हो जाता है।गुरू की कृपा से शिष्य की सारी मनोकामना पूर्ण होती है।यह आप के विश्वास के ऊपर ही परिणाम निर्भर करता है। जितना अचल अटल निसंदेह विश्वास होगा उतना ही परिणाम सु परिणाम होगा।

इस कार्यक्रम में उपस्थित अयोध्या के अन्य संत महंत एवं शिष्यों ने भी उनके ब्यक्तित्व व कृतित्व पर ब्यापक प्रकाश डालते हुवे श्रद्धांजलि दी।इस श्रद्धांजलि एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम के पश्चात भण्डारे का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में पधारे सभी सन्त महन्त को भरत दास जी एवं शिवराम दास जी फलाहारी बाबा के द्वारा अंग वस्त्रम.अचला.चादर एवं दक्षिणा भेंट कर स्वागत किया गया।इस कार्यक्रम में महंत धर्मदास. महंत जनमेजय शरण.महंत सुरेश दास.डाक्टर रामानन्द दास.महंत उमेश दास.महंत बृजमोहन दास.महंत प्रेमशंकर दास.महंत प्रेमदास.महंत राम भवन दास.महंत राम प्रिय दास.महंत सुधीर दास.सोनू मिश्रा.दिनेश तिवारी. राहुल मिश्रा.सुनील मिश्रा.शंभू दास. पं श्याम राज तिवारी भाजपा जिला महामंत्री गाजीपुर.यशवंत सिंह.देवेन्द्र सिंह मुन्ना. मुकेश गिरी
समेत हजारो की संख्या में लोग शामिल रहे।
@विकास राय