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सत्संग से ही संस्कार मिलता है :फलाहारी बाबा

मुहम्मदाबाद: तहसील क्षेत्र के बगेन्द स्थित शिव मंदिर पर आयोजित श्री राम कथा में अयोध्या वासी मानस मर्मज्ञ भागवतवेत्ता श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री शिव राम दास उपाख्य फलाहारी बाबा ने अपने मुखारविन्द से श्री राम कथा रूपी अमृत की वर्षा से उपस्थित श्रोताओं को सिंचित करते हुए कहा की संस्कार ही सबसे बड़ी संपत्ति है। श्रद्धा और विश्वास के संयोग से पुरुषार्थ का जन्म होता है वहां गणेश रूपी विवेक पहले से ही विद्यमान होते हैं और वह विवेक सत्संग से प्राप्त होता है। सत्संग से ही संस्कार मिलता है ।फलाहारी बाबा ने कहा की अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए संपत्ति की चिंता छोड़कर संस्कारी बनाने का प्रयास करना चाहिए ।संस्कार रहित संपत्ति सुख दे सकती है परन्तु शांति नहीं। संपत्ति के पीछे संस्कार नहीं चलता पर संस्कार के पीछे संपत्ति चलने पर कभी न कभी अवश्य मजबूर होती है। फलाहारी बाबा ने कहा की प्रथम संस्कार मां के गर्भ में पड़ता है। कयाधु के गर्भ में ही प्रहलाद को नारद जी ने भक्ति का पाठ पढ़ा कर संस्कारी बनाया था। अभिमन्यु गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ने की कला की कथा पिता अर्जुन के द्वारा सीख गया था। मां के आहार व्यवहार का प्रभाव गर्भस्थ बच्चे पर पूरा पूरा पड़ता है। संस्कार रहित जीवन समाज में सम्मान नहीं पाता है। जो संसार में सम्मान नहीं पाता वह भगवान के पास भी उपहास का ही पात्र बनता है।नशा जीवन को ही नहीं प्रतिष्ठा को भी बर्बाद करता है।पुत्र वही है जो पिता की प्रतिष्ठा को बढ़ावे । शान और सम्मान का जीवन जीना हो तो नशा का त्याग करना होगा। आज संस्कारित शिक्षा के अभाव में युवा पीढ़ी नशा का शिकार होती जा रही है। जो अंत में दुख व्यथा से व्यथित होते हुए पश्चाताप की अग्नि में कुढ कुढ कर जीने पर मजबूर हो जाती है। शिक्षा में संस्कार का होना आवश्यक नहीं उज्जवल भविष्य के लिए परम आवश्यक आवश्यकता है।बाबा ने कहा की सरकार और निजी शिक्षण संस्थानो के संस्थापकों तथा ब्यवस्थापको से से मै निवेदन करूंगा कि शिक्षा मे संस्कार का भी समावेश होना चहिए।बीस नवम्बर को रूद्र महायज्ञ की कलश यात्रा की तैयारी चल रही है।इसका समापन 25 नवम्बर को होगा।यज्ञशाला का निर्माण अपने अंतिम चरण में है।वृन्दावन से राम लीला एवम रासलीला के मंचन के लिए कलाकार आ गये है।