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हरियाली से ही हो सकती है पर्यावरण की रक्षा :डॉ0 सानन्द सिंह

गाजीपुर जनपद के सत्यदेव ग्रूप आफ कालेजेज गाधिपुरम् बोरसिया के परिसर में इस समय पौधारोपण कार्यक्रम निरन्तर जारी है।बोरसिया में स्थित सत्यदेव ग्रूप्स के अनेक शिक्षण संस्थानों के अलग अलग परिसर है जिनमें किनारे किनारे पौधे लगाये जा रहे है।

बुधवार को भी प्रबन्ध निदेशक डा० सानन्द सिंह की उपस्थिति में सत्यदेव कालेज आफ फार्मेसी एवम सत्यदेव इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के परिसर में बिभिन्न प्रजाति के ग्यारह सौ पौधो का रोपण किया गया।इस अवसर पर डा सानन्द सिंह प्रबंध निदेशक एवम काउंसलर सत्यदेव ग्रूप आफ कालेजेज दिग्विजय उपाध्याय .राम जी गिरी समेत अन्य लोगों के द्वारा भी पौधारोपण किया गया।इस अवसर पर डा सानन्द सिंह ने कहा की हम बहुत शिक्षित होने के बावजूद भी अभी अपने पूर्वजो से काफी पीछे है।अभी भी बाग बगिचा. जल प्रबंधन.जल संचय.के सारे उदाहरण उन सभी का ही दिखाई देता है।पूर्वजों के द्वारा किये गये इन कार्यो से हम सभी को प्रेरणा लेकर आने वाली पिढियों के लिए कुछ अच्छा करना हमारा धर्म बनता है।डा सानन्द सिंह ने कहा की बृक्ष तो सभी महत्वपूर्ण है परन्तु
पीपल के पेड़ को धर्मशास्त्रों में सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। इस एक पेड़ को मुक्ति के लाखों, करोड़ों उपायों के समकक्ष निरूपित किया है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने पीपल को श्रेष्ठ कहा है। भविष्य पुराण में ऐसे कई पेड़ों का उल्लेख है जो पापनाशक माने गए हैं। वृक्षायुर्वेद में पेड़ों के औषधीय महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी है।

डा सिंह ने कहा की वनस्पति जगत में पीपल ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जिसमें कीड़े नहीं लगते हैं। यह वृक्ष सर्वाधिक ऑक्सीजन छोड़ता है जिसे आज विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। भगवान बुद्ध को जिस वृक्ष के नीचे तपस्या करने के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था, वह पीपल का पेड़ ही है और श्रीमद् भागवत गीता के दसवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा है कि वृक्षों में श्रेष्ठ पीपल है।

भविष्य पुराण में ही बताया गया है कि शीशम, अर्जुन, जयंती, करवीर, बेल तथा पलाश के वृक्षों को लगाने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और रोपणकर्ता के तीन जन्मों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

सौ वृक्षों का रोपण करना ब्रह्मारूप और हजार वृक्षों का रोपण करने वाला विष्णुरूप बन जाता है। अशोक वृक्ष के बारे में लिखा है कि इसके लगाने से शोक नहीं होता। अशोक वृक्ष को घर में लगाने से अन्य अशुभ वृक्षों का दोष समाप्त हो जाता है। बिल्व वृक्ष को श्रीवृक्ष भी कहते हैं। यह वृक्ष अति शुभ माना गया है। इसमें साक्षात लक्ष्मी का वास होता है तथा दीर्घ आयुष्य प्रदान करता है।

इसी प्रकार वटवृक्ष के बारे में भी विस्तार से शास्त्रों में बताया गया है। वृक्षायुर्वेद में बताया गया है कि जो व्यक्ति दो वटवृक्षों का विधिवत रोपण करता है वह मृत्योपरांत शिवलोक को प्राप्त होता है।

भविष्य पुराण में ही बताया गया है कि वटवृक्ष मोक्षप्रद, आम्रवृक्ष अभीष्ट कामनाप्रद, सुपारी का वृक्ष सिद्धप्रद, जामुन वृक्ष धनप्रद, बकुल पाप-नाशक, तिनिश बल-बुद्धिप्रद तथा कदम्ब वृक्ष से विपुल लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
आंवले का वृक्ष लगाने से अनेक यज्ञों के सदृश पुण्यफल प्राप्त होता है।
गूलर के पेड़ में गुरुदत्त भगवान का वास माना गया है।
पारिजात के वृक्ष के बारे में तो यह बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण इसे स्वर्ग से लाए थे।

शास्त्रों में बताया गया है कि वृक्षों को काटने वाला गूंगा और अनेक व्याधियों से युक्त होता है। अश्वत्थ (पीपल, वटवृक्ष और श्रीवृक्ष) का छेदन करने वालों को ब्रह्म हत्या का पाप लगता है।

वृक्षों के आरोपण के लिए वैशाख, आषाढ़, श्रावण तथा भाद्रपद महीने श्रेष्ठ माने गए हैं। अश्विन, कार्तिक व ज्येष्ठ मास पौधों के रोपण के लिए शुभ नहीं माने गए है। बंजर भूमि को हरियाली में बदलना सचमुच एक भगीरथ प्रयास था लेकिन हम सभी इस में कामयाब हो गये है और अब और अत्यधिक उर्जा के साथ आगे भी निरन्तर प्रयत्नशील रहेंगे।डा सानन्द सिंह ने कालेज परिसर में जल पुरूष राजेन्द्र सिंह के द्वारा लगाये गये पौधे को जो अब निरन्तर सेवा से पूर्णतया बृक्ष का रूप ले लिया है उस बृक्ष को बडे ही आदर एवम श्रद्धा भाव से नमन् किया।इस अवसर पर कालेज के सभी छात्र छात्राऐं एवम शिक्षक व स्टाफ के लोग उपस्थित रहे।